इस जीवन के मूल्य अभी समझना बाकी है
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
ईश्वर के बच्चे हैं हम ऐसा सब कहते हैं.
वो ही सबके हृदयों में छिपकर के रहते हैं.
अपने ही दिल में बस खुद से जाना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
बंधन में बंधकर ये मन भागे ही जाता है.
मोह, लोभ और क्रोध लिए दिल को भटकाता है.
चञ्चल, मूरख मन को वश में लाना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
दुष्कर हो चलना तब वो ही राह दिखाता है.
मानव कष्टों से लड़कर मंज़िल को पाता है.
राह मिल गयी है, बस मंज़िल पाना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
ईश्वर के बच्चे हैं हम ऐसा सब कहते हैं.
वो ही सबके हृदयों में छिपकर के रहते हैं.
अपने ही दिल में बस खुद से जाना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
बंधन में बंधकर ये मन भागे ही जाता है.
मोह, लोभ और क्रोध लिए दिल को भटकाता है.
चञ्चल, मूरख मन को वश में लाना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
दुष्कर हो चलना तब वो ही राह दिखाता है.
मानव कष्टों से लड़कर मंज़िल को पाता है.
राह मिल गयी है, बस मंज़िल पाना बाकी है.
क्या करते, क्यों करते और क्या करना बाकी है.
लाजवाब !
ReplyDeleteप्रेरित करती रचना।
सादर
कल 25/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
thanks yashwant
Deleteसुन्दर....
ReplyDeletedhanyavad kaushal ji
Deleteवाकई प्रेरक अभिव्यक्ति
ReplyDeletedhanyavad sir
DeleteThis comment has been removed by the author.
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