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Thursday, 15 January 2015

नव वर्ष

नव वर्ष अभी तो आया है, अनुपम मंगल सुख लाया है।
झूठी धुंधली कुछ यादों को बीते दिन सा बिसराया है।

जो रुक न सका वो छूट गया, जो झुक न सका वो टूट गया ।
जो कर न सका विश्वास स्वयं पर, वो ही सबसे रूठ गया
चलना, रुकना, उठना, झुकना, इस वर्ष हमें सिखलाया है
नव वर्ष अभी तो आया है, अनुपम मंगल सुख लाया है।

नव दिनकर का सम्मान किया, उत्साह भरा गुण गान किया
जाते मयंक ने हो विनम्र अंतिम दिन का अवसान किया
उत्थान-पतन में हो समान, चारित्रिक मूल्य बताया है
नव वर्ष अभी तो आया है, अनुपम मंगल सुख लाया है।

यह समय-चक्र है, चलता है, जीवन का सार बदलता है
प्रतिकूल परिस्थिति में रखना संयम ही आज सफलता है
चलते जाओ धीरज के संग, यह अद्भुत पाठ पढ़ाया है
नव वर्ष अभी तो आया है, अनुपम मंगल सुख लाया है।

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