इस जीवन से लड़कर मैंने इस जीवन को जीना सीखा,
ग़म को मुस्कान भरी इन आँखों से हँसकर पीना सीखा।
आदत सी पड़ गयी लबों को जब झूठी मुस्कानों की,
तब इन होंठों ने जाने कब जी भर करके हँसना सीखा।
दुःख दुःख न रहे सुख बन बैठे, दर्दों ने खुद को झुठलाया,
जबसे हँसकर इन दर्दों के आँचल में ही सोना सीखा।
है प्यार मिला इतना जबसे, झोली कम सी पड़ जाती है,
सब तुझको खुद अर्पण करके, सर्वस्व यहीं पाना सीखा।
इस जीवन से लड़कर मैंने इस जीवन को जीना सीखा,
ग़म को मुस्कान भरी इन आँखों से हँसकर सीना सीखा।
ग़म को मुस्कान भरी इन आँखों से हँसकर पीना सीखा।
आदत सी पड़ गयी लबों को जब झूठी मुस्कानों की,
तब इन होंठों ने जाने कब जी भर करके हँसना सीखा।
दुःख दुःख न रहे सुख बन बैठे, दर्दों ने खुद को झुठलाया,
जबसे हँसकर इन दर्दों के आँचल में ही सोना सीखा।
है प्यार मिला इतना जबसे, झोली कम सी पड़ जाती है,
सब तुझको खुद अर्पण करके, सर्वस्व यहीं पाना सीखा।
इस जीवन से लड़कर मैंने इस जीवन को जीना सीखा,
ग़म को मुस्कान भरी इन आँखों से हँसकर सीना सीखा।
Doctor!
ReplyDeleteI like this very very much!
Get well soon!
Regards
उसको सब कुछ अर्पण करके ही जीवन पाया जा सकता है ...
ReplyDeleteलाजवाब छंद हैं सभी ... बहुत भावमय रचना ...
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें शख्सियत होने की सजा भुगत रहे संजय दत्त :बस अब और नहीं . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
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ReplyDeleteजीवन एक संघर्ष है इसे लड़कर ही जीया जा सकता है
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