बैठे हैं यूँ एकाकी से, ढूंढ रहे कुछ इधर उधर।
किसको देखें, क्या ना देखें, भटक रही है यूँ ही नज़र।
चक्कर में पड़कर के सारे, चलते फिरते लोग यहाँ।
खड़ा है कोई, बैठा कोई, घूमे कोई यहाँ वहाँ।
सबके अपने किस्से हैं, सब अलग कहानी कहते हैं।
सबको ये ही लगता, केवल वो ही मुश्किल सहते हैं।
ईश्वर इनसे मुझे बचा लो, ढूँढू तुमको किधर किधर।
किसको देखें, क्या ना देखें, भटक रही है यूँ ही नज़र।
किसको देखें, क्या ना देखें, भटक रही है यूँ ही नज़र।
चक्कर में पड़कर के सारे, चलते फिरते लोग यहाँ।
खड़ा है कोई, बैठा कोई, घूमे कोई यहाँ वहाँ।
सबके अपने किस्से हैं, सब अलग कहानी कहते हैं।
सबको ये ही लगता, केवल वो ही मुश्किल सहते हैं।
ईश्वर इनसे मुझे बचा लो, ढूँढू तुमको किधर किधर।
किसको देखें, क्या ना देखें, भटक रही है यूँ ही नज़र।
बहुत ही बढ़िया डॉक्टर
ReplyDeleteसादर